मंगलवार के व्रत की आरती
Mangalvar Ke Vrat Ki Aarti
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ।।
जाके बल से गिरिवर कांपै । रोग-दोष जाके निकट न झांपै ।।
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ।।
दे बीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ।।
लंका जारि असुर सब मारे । सियाराम जी के काज संवारे ।।
लक्ष्मण मूर्च्छित पड़े सकारे । लाय संजीवन प्राण उबारे ।।
पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ।।
बाईं भुजा असुर संहारे । दाईं भुजा संत जन तारे ।।
सुर नर मुनि आरती उतारें । जय जय जय हनुमान उचारें ।।
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरति करत अंजना माई ।।
जो हनुमान जी की आरती गावे । बसि बैकुण्ठ परमपद पावे ।।
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लंक विध्वंस किए रघुराई । तुलसिदास प्रभु कीरति गाई ।
यदि शनिकी साढेसाती हो, तो उस प्रभावको कम करने हेतु हनुमानकी पूजा करते हैं ।
यह विधि इस प्रकार है –
एक कटोरीमें तेल लें व उसमें काली उडदके चौदह दाने डालकर, उस तेलमें अपना चेहरा देखें ।
उसके उपरांत यह तेल हनुमानको चढाएं । जो व्यक्ति बीमारीके कारण हनुमान मंदिर नहीं जा सकता, वह भी इस पद्धतिनुसार हनुमानकी पूजा कर सकता है ।
खरा तेली शनिवारके दिन तेल नहीं बेचता, क्योंकि जिस शक्तिके कष्टसे छुटकारा पानेके लिए कोई मनुष्य हनुमानपर तेल चढाता है, संभवत: वह शक्ति तेलीको भी कष्ट दे सकती है ।
इसलिए हनुमान मंदिरके बाहर बैठे तेल बेचनेवालोंसे तेल न खरीदकर घरसे ही तेल ले जाकर चढाएं ।